बुधवार, अप्रैल 07, 2010

नारी का आँचल

हवा में जब उड़ता ये आँचल
दिल किसी का धडकाता ये आँचल

         पायल कि मधुर थिरकन पर
          गीत मधुर गाता ये आँचल

नारी की हर ताल के संग
लहर-लहर लहराता ये आँचल

सुन चूडियो की खनक को
मंत्रमुग्ध होता ये आँचल

देख चेहरे की चमक को
दांतों तले दब जाता ये आँचल

एक बार पिया जो आये सामने
शर्मा कर रह जाता ये आँचल

नारी के उजले सौन्दर्य को
अपने में छिपाता ये आँचल

नारी का बनता पहरेदार हमेशा
उसकी शर्म हया का ये आँचल

भूले से ग़र छूले कोई बुराई
फंदा गले का बनता ये आँचल
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