गुरुवार, अप्रैल 22, 2010

खाप पंचायत, सतयुग से कलयुग तक............

"खाप पंचायत" ये नाम तो अब लगभग सभी सुन चुके होंगे ! पिछले कुछ दिनों से ये काफी चर्चा में है और इनके चर्चा में होने का कारण है इनके जारी किये गए अनोखे फरमान, जिन्हें  लोगो द्वारा तुगलकी फरमान कि संज्ञा दी गई !
 खाप पंचायतो का इतिहास बहुत पुराना है और ये  महाभारत काल से लेकर रामायण काल और उसके बाद मुग़ल शासन का सफ़र करते हुए अब  इस इकिस्वी सदी (कलयुग) के समाज में अपने वजूद के साथ आज भी कायम है !
कहा जाता है कि जब "राजा दक्ष के यज्ञ में भगवान् शिव को ना बुलाकर उनका अपमान किया गया तब पार्वती जी ये अपमान सह ना पाई और उन्होंने   यज्ञ  के हवन कुंड कि अग्नि में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए थे, जब  शिवजी को ये पता लगा तो बहुत क्रोधित हुए और तब उन्होंने  वीरभद्र को ये आज्ञा दी कि वो अपनी गन सेना के साथ जा कर राजा दक्ष का यज्ञ नष्ट करके उसका सर काट दे" ! खाप पंचायतो कि ये सबसे पुरानी घटना मानी जाती है !
रामायण काल में भी इन खाप पंचायतो का उल्लेख मिलता है, कहा जाता है कि हनुमान जी कि वानर सेना वास्तव में एक सर्व खाप पंचायत ही थी जिसमे भील,कोल,वानर,रीच,जटायु,रघुवंशी आदि विभिन्न जातियों तथा खापो के लोग सम्मिलित थे लेकिन क्योकि इसमें वानर अधिक थे इसलिए इन्हें वानर सेना कहा गया ! इस सेना के अध्यक्षता  महाराजा  सुग्रीव ने कि थी और इनके सलाहकार थे वीर जामवंत !
समय के चक्र के साथ काल बदलते गए युग बदलते गए लेकिन ये खाप पंचायते हर युग में देखने को मिलती रही ! सतयुग से लेकर मुग़ल शासन और उसके बाद  अंग्रेजो  के शासन काल तक इन खाप पंचायतो के वजूद को कोई हिला ना सका ! मुग़ल काल में समाज को एक स्वस्थ वातावरण देने के लिए इन पंचायतो का सहारा लिया जाने लगा क्योकि उस समय हर व्यक्ति से राजा निजी तौर पर मिल कर समस्या हल नहीं कर सकते थे इसलिए ये खाप पंचायते ज़रूरी हो गई ! ये तब एक तरह कि प्रशासन पद्दति के रूप में काम करने लगी और गाँव तथा प्रान्तों के छोटे बड़े फैसले यही पंचायते करने लगी इसके बदले इन्हें राजाओ से ऊँचे ओहदे तथा अन्य भेट मिलने लगी ! इनके द्वारा लिए  गए हर फैसले  को इनके अधीन आने वाले सभी गाँव तथा प्रान्तों को मानना ज़रूरी था !
लेकिन भारत कि आज़ादी के बाद से इन खाप पंचायतो कि ताकतों को देश के राजनीतिज्ञों ने भली भांति भाप लिया ! और तब ये राजनीतिज्ञ इस बात को अच्छी तरह से समझ चुके थे कि पंचो  द्वारा लिया गया कोई भी फैसला गाँव के हर व्यक्ति के लिए किसी पत्थर की लकीर के समान ही था और उस लकीर को मिटाने की हिम्मत किसी में भी ना थी, और यही वजह रही की राजनीतिज्ञों द्वारा इन खाप पंचायतो का इस्तेमाल  अपने वोट बैंक को बढाने के लिए किया जाने लगा और यही से ये खाप पंचायते सियासी रूप लेने लगी जिनका लाभ राजनेताओ ने जम कर उठाया ! और आज इसकी बानगी हमे इनके तुगलकी फरमानों के रूप में देखने को मिल रही है !
आज ये खाप पंचायते हिन्दू मेरिज एक्ट में संशोधन की मांग कर रही है इनकी मांग है की सरकार "एक गोत्र में होने वाली शादियों को अवैध करार दे" क्योकि इनका मानना है की एक गोत्र के सभी लड़के और लडकिया आपस में भाई-बहन होते है फिर चाहे कितनी भी पीढ़िया क्यों ना गुजर गई हो ! अपनी इसी सोच के चलते इन्होने मनोज और बबली हत्याकांड के दोषियों को बचाने के लिए हर घर से दस दस रुपए इक्कठे किये क्योकि मनोज और बबली एक ही गोत्र के थे और इसलिए  इनके अनुसार उनकी हत्या करने वाले दोषी नहीं है बल्कि दोषी मनोज और बबली थे जिन्होंने एक ही गोत्र में शादी की ! लेकिन अगर इनकी एक गोत्र में शादी ना करने की मांग को मान लिया जाता है तो आज जितने लोग इसके समर्थन में है उतने ही शायद इसके विरोध में भी हो क्योकि दक्षिद भारत में ना सिर्फ एक गोत्र में बल्कि एक बहन अपने बेटे के लिए अपने ही भाई की बेटी को दुल्हन के रूप में भी स्वीकार करती है और वहां इसका कोई विरोध नहीं है !
लेकिन आज ये खाप पंचायते राजनेताओ के लिए अपने वोट जुटाने में बहुत मददगार साबित हो रही है जैसा की मैंने पहले भी बताया की इन पंचायतो द्वारा लिया गया कोई भी फैसला इनके अधीन आने वाले सभी गाँवो के लिए मान्य होता है तो उसी का फायदा ये राजनेता उठा रहे है क्योकि इन पांचो का एक फैसला भी तख्ता पलट करने की हिम्मत रखता है ज्यादा दिन नहीं हुए जब 84 गाँवो वाली बालियाँ खाप के प्रमुख महेंद्र सिंह टिकेट ने किसान आन्दोलन चला कर उस वक़्त पूरी सत्ता को हिला कर रख दिया था और यही वो मूल वजह है जिसकी वजह से आज ये पंचायते  आज के इस युग में ये अपना आधिपत्य स्थापित किये हुए है ! आज ये पंचायते अपना समाजिक दायित्व भूल कर सियासी रंग में रंग चुकी है और इनको रोकना मतलब अपनी सत्ता को खोने जैसा है क्योकि इनकी विरोध में जो भी सत्ता कदम उठाएगी वो शायद दोबारा देश में शासन नहीं कर पायेगी !
तो क्या आज का समाज  इनके इन तुगलकी फरमानों को यूही चुपचाप मानता रहे ???? क्योकि जब तक ये नेता इन्हें अपना वोट बैंक मानते रहेंगे तब तक तो इन पंचायतो के फैसलों में कोई परिवर्तन संभव नज़र नहीं आता दिख रहा ! इस लेख पर अन्य लोगो की प्रतिक्रिया जानने के लिए यहाँ क्लीक करे 1http://sonigarg.jagranjunction.com/author/sonigarg/

4 टिप्‍पणियां:

  1. ये राजनीतिज्ञ इनसानों को डुगडुगी की तरह इस्तेमाल करते हैं... ये पंचायत के सिपहसालार भी एक डुगडुगी हैं जिन्हें बजाकर भीड़ का इस्तेमाल किया जाता है .. कभी वोट बटोरने के लिए तो कभी दंगे करवाने के लिए...विचारोत्तेजक निबंध..

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  2. ये रहा मम्मी का ब्लॉग...http://shabdshikhar.jagranjunction.com/

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  3. एक विचारणीय आलेख ... खाप पंचायत के इतिहास को बताने के लिए धन्यवाद ।

    हमारे समाज में जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ होना कब बंद होगा और बेकसूर और निरीह लोग अपनी इच्छा का जीवन कब जी पाएंगे ???

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