शुक्रवार, जुलाई 28, 2017

उसकी कहानी (भाग-4 )

वो घबराई हुयी सी घर में चिल्लाते हुए पुरषोत्तम को उठाती है !
उठो जल्दी उठो नंदिनी के हॉस्टल से फ़ोन आया है उन्होंने अभी बुलाया है !
क्यों, क्या हुआ ??
(रोते हुए बोली ) नंदिनी हॉस्पिटल में है, उसने स्यूसाइड करने की कोशिश की है !
क्या ???
शोर सुन कर शशांक और विवेक भी अपने कमरे से बाहर आ जाते है ! दोनों को जब पता चलता है तो वो नंदिनी का हाल जान्ने के लिए उसे फ़ोन करते है लेकिन फ़ोन लगातार ऑफ आता है !
कुछ देर बाद ही चारो नंदिनी के हॉस्टल के लिए निकल जाते है ! रास्तेभर नंदिनी की माँ रोते हुए पुरषोत्तम को एक ही बात कहती रही कि आपने नंदिनी से बात क्यों नहीं की, वो कुछ बोलना चाह रही थी........  लेकिन आज पुरषोत्तम के पास इन बातों का कोई जवाब नहीं था ! वो लगातार बस यही सोच रहा था कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो नंदिनी ने स्यूसाइड जैसा रास्ता चुना और क्यों मैंने उससे बात नहीं की ! मैं क्यों थोड़ा सा टाइम नहीं निकाल पाया ??
इसी सब उधेड़बुन में शशांक का फ़ोन बार-बार बजता रहा सभी को लगता कि शयद नंदिनी की कोई खबर हो लेकिन नहीं वो फ़ोन हर बार शशांक के लिए ही होते !!
कुछ घंटो के सफर के बाद वो सभी अब नंदिनी के कॉलेज पहुंच चुके थे और वहाँ से वो कुछ कॉलेज टीचर्स के साथ हॉस्पिटल पहुँच गए !
नंदिनी की माँ लगातार रोये तेओ हुए डॉक्टर से नंदिनी का हाल पूछा डॉक्टर कुछ नहीं बोले !
तभी कुछ पुलिसकर्मी वहाँ आये और उन्होंने पुरषोत्तम से पूछा ....
 क्या आप नंदिनी के फादर है ?
हाँ, मैं ही नंदिनी का फॉदर हूँ कहाँ है नंदिनी कैसी है वो ???
जब आपको फ़ोन किया था तभी नंदिनी को यहाँ लाये थे लेकिन उनकी हालत ठीक नहीं थी
मतलब ??
सर डॉक्टर्स ने काफी कोशिश  की लेकिन सॉरी वो उसे बचा नहीं पाए !
पुरषोत्तम ये सुन वहीँ फर्श पर निढाल हो जाता है वो ना रो पाता है और ना ही कुछ कह पाता है !!
अब शायद उसे भी ये पछतावा है कि वो अपनी बेटी की बात नहीं सुन सका, वो किस परेशानी से गुजर रही थी,
वो क्या चाह रही था, क्यों वो उसे कुछ मिनट नहीं दे पाया ??
तभी वहाँ एक पुलिसकर्मी आता है और पुरषोत्तम के हाथ एक कागज देता है !
ये आपकी बेटी के बैग से मिला था आपके लिए लिखा है !
पुरषोत्तम वो कागज़ खोल कर देखता है  और अपनी जेब में रख लेता है !
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 to be continued ........



शनिवार, जुलाई 15, 2017

उसकी कहानी (भाग -3 )

शाम 7 बजे
अच्छा विवेक अब मैं जाती हूँ वैसे भी बहुत देर हो गयी !
सोनल, थोड़ी देर और रुको ना वैसे भी मम्मा अभी नहीं आएँगी वो जब भी पार्टी जाती है तो देर से ही आती है !(सोनल, विवेक की ही सोसायटी में रहती है !)
और अंकल ??
अरे यार पापा तो आते ही लेट है !
और शशांक भईया ??
अरे आज वो भी अपने फ्रेंड्स के साथ बाहर गए है पता नहीं कब आएंगे !
ओके, लेकिन मेरी मम्मा आने वाली होंगी ना, इसलिए उनके घर पहुँचने से पहले मुझे जाना होगा !
ओह्ह,,, ठीक है लेकिन नेक्स्ट कब आओगी ???
जब तुम फ्री हो !! (हँसते हुए )
ओके चलो बाय !
सोनल को बाहर तक छोड़ने जाता है फिर वापस आकर दरवाजा बंद करके टीवी के सामने बैठ जाता है ! थोड़ी देर बाद डोर बेल बजती है ! विवेक दरवाजा खोलता है ! सामने उसकी मम्मा थी !
अरे आप आ गए !
हाँ, आज थोड़ा देर तक चली पार्टी ! मेड काम कर गयी ??
नहीं, आयी नहीं आज वो !!
तूने मुझे फोन करके क्यों नहीं बताया ??और शशांक कहाँ है घर में नहीं है वो ??
अरे मैं आज सो गया था और भईया भी आपके जाने के बाद ही चले गए थे !
कहाँ गया वो ??
पता नहीं कुछ फ्रेंड्स आये थे उनके, उन्ही के साथ गए !
ठीक है !! अच्छा सुन आज खाना बाहर से ही आर्डर कर ले सबके लिए , मैं बहुत थक गयी हूँ !!
ठीक है !!
और  शशांक को भी फोन करके पूछ ले कब तक आयेगा ??
ओके मम्मा !!
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रात करीब 9 बजे......
डोर बेल बजी !
उसने दरवाजा खोला, देखा शशांक खड़ा था
अरे, कहाँ था तू ??
अरे वो दोस्त के घर गया  था कुछ काम था !!
क्या काम था ??
कुछ ख़ास नहीं बस वैसे ही कुछ था !
पता नहीं समझ नहीं आते तेरे काम भी !
अच्छा खाना क्या बना है !
आज बाहर से मंगाया है !!
अरे यार परसो भी बाहर से मंगाया था !! क्या मम्मा, बनाया क्यों नहीं कुछ !!
मैं बस थक गयी थी, आज खा ले कल बना दूंगी !!
इसी बीच पुरुषोत्तम भी आता है और सभी खाना खाकर सो जाते है !
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रात करीब 2 बजे शशांक का फोन बजता है !
उधर से आवाज आती है
कहाँ है शशांक आया नहीं अभी तक !
हाँ बस 15 मिनट में आ रहा हूँ तू मेरा गेट पर ही वेट कर  !
ठीक है मैं यही खड़ा हूँ तू जल्दी आ !
शशांक चुप-चाप घर के बाहर चला जाता है !!!
.......
अरे यार कितनी देर लगाता है तू !!
हाँ, अब आ गया ना, अच्छा सामान लाया है ना तू !!
हाँ, लाया हूँ अब चल जल्दी कर !
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शशांक करीब साढ़े तीन बजे घर वापस आता है वो दूसरी चाबी से गेट खोलता है और वापस अपने कमरे में जाकर सो जाता है !
तभी घर का लैंडलाईन फोन बजता है !! शशांक घबरा जाता है !!
फोन शशांक की मम्मा उठाती है ! फोन नंदिनी के हॉस्टल से है !!
नंदिनी के पेरेंट्स को फ़ौरन हॉस्टल में बुलाया गया है !!
to be continued .........

गुरुवार, जुलाई 06, 2017

उसकी कहानी (भाग २ )

नंदिनी जल्दी उठ यार  क्लास शुरू होने वाली है !
शैला, प्लीज़ सोने दे ! सर बहुत दर्द कर रहा है ! (शैला नंदिनी की रूम मेट है )
मैडम क्लास शुरू होने  में २० मिनट है उठ जा वरना आज भी क्लास मिस हो जाएगी !
प्लीज़ यार सोने दे ना !
और वैसे तू सारी रात थी कहाँ ?? और  ये हाथ पर क्या हुआ ये किस चीज़ का निशान है ??
(नंदिनी अपना हाथ खींचते हुए )कुछ नहीं है तू जा , मैं आती हूँ अभी थोड़ी देर में
लेकिन ये है किस चीज़ का निशान ये तो बता !!
कहा ना कुछ नहीं, तू जा मैं रेडी होकर आती हूँ !
नंदिनी ये निशान सिरिंज का  है ना ??
तू जा ना मैं आती हूँ !
नंदिनी, कहाँ थी तू रात को ??
फ्रेंड के साथ पार्टी में थी !!
कौन से फ्रेंड ??
तू नहीं जानती उनको और तू जा अब मैं आ जाउंगी !
ओके बाय !!
बाय !!
(अपना फोन निकाल कर नंबर डायल करती है  ) हेलो मम्मा, पापा कहाँ है ??
वो तो ऑफिस गए आज जल्दी जाना था उन्हें !!
ओके !!
बोलो क्या काम था पैसे चाहिए क्या ??
नहीं रहने दो है मेरे पास !
हम्म्म, तू क्लास में नहीं है !
हाँ, बस जा रही हूँ पापा आये तो बता देना !!
वो आजकल देर से ही आ रहे है ऑफिस में काम थोड़ा ज्यादा है !! कुछ काम है  तो मुझे बता !!
नहीं कुछ नहीं !!
चल ठीक है मुझे वैसे भी अभी सोसायटी की पार्टी में जाना है मैं बाद में बात करती हूँ !
हम्म्म्म !!
कुछ चाहिए तो बता दे !
नहीं कुछ नहीं ! चलो बाय !
बाय !!
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विवेक , बेटा मैं जा रही हूँ खाना बना दिया है दोनों खा लेना  !
हाँ ठीक है ! कब तक आओगे ?
5 -6 बजे तक आउंगी !
ओके बाय मम्मा !
बाय और भाई को भी उठा देना !
हाँ ठीक है मम्मा !
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थोड़ी देर बाद डोर बेल बजी विवेक ने दरवाजा खोला तो कुछ लड़के लड़किया खड़े थे बाहर, उन्होंने शशांक को बुलाने को कहा विवेक शशांक को बुला लाया !
विवेक मम्मा कहाँ है ??? (बाहर से ही पूछता है )
किसी पार्टी में गयी है शाम तक आएँगी !
चल ठीक है मैं जरा बाहर जा रहा हूँ थोड़ी देर में आ जाऊंगा !
कहाँ जा रहे हो ??
जा रहा हूँ अभी थोड़ी देर में आ जाऊंगा !
भाई खाना तो खा लो !
मैं बाहर ही खा लूंगा तू खा ले चल बाय !
हम्म्म, बाय !!
to be continued .............